28 मई 2020, आज का दिन भारत के नर्सिंग समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैl पूरे देश के लाखों नर्सिंग कर्मचारी एवं छात्र आज नर्सिंग भर्तियों में असंवैधानिक रूप से सेंट्रल इंस्टिट्यूट बॉडी (CIB) द्वारा थोपे गए लिंग आधारित आरक्षण के खिलाफ एकत्र हुए हैंl दरअसल कुछ महीने पहले CIB जो देश के सभी एम्स अस्पतालों के लिए एक सरकारी बॉडी है, उसने अपनी 4th मीटिंग में ये निर्णय लिया था कि “मरीजों की सेवा एवं स्वास्थ्य” को ध्यान में रखते हुए नर्सिंग भर्तियों में महिला:पुरूष को क्रमशः 80-20% आरक्षित किया जाना चाहिएl इसके तुरंत बाद एम्स नागपुर एवं एम्स पटना ने नर्सिंग ऑफिसर पदों पर नियुक्ति निकाली और भर्ती प्रक्रिया इन्हीं नियमों के अनुसार चल रही हैl
हेल्थ सेक्टर में इस तरह लिंग आधारित आरक्षण देना ना केवल असंवैधानिक है ब्लकि अमानवीय भी हैl सी आई बी का यह नियम भारत के संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को दिए गए ‘समानता के अधिकार’ (आर्टिकल 14,15,16) का सीधा सीधा उलंघन हैl
जब आदमी हर जगह प्रयास करके थक जाता है तो वह मजबूर हो जाता है न्याय के लिए जनता की अदालत में आने के लिएl कुछ ऐसे ही न्याय की उम्मीद में आज भारत के लाखों नर्सिंग प्रोफेशनल Twitter पर एक अभियान चला कर इसका विरोध कर रहे हैं ताकि इस सोई हुई सरकार और प्रशासन को जगा सकेंl
इस नियम के खिलाफ आज देश की सेंकड़ों नर्सिंग यूनियन/एसोसिएशन एक मंच पर आ खड़ी हुई हैंl यह एकता बहुत खास है, इसको सहेज कर रखने की जरूरत हैl नर्सिंग में ये लिंग आधारित आरक्षण कोई नई चीज नहीं हैl शुरू से लेकर आज तक मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में महिलाओं के लिए 100% कोटा हैl देश के हर राज्य में नर्सिंग भर्तियों में लिंग आधारित आरक्षण का प्रावधान हैl सरकारी तंत्र से हटकर अगर निजी क्षेत्र के अस्पतालों की बात की जाए तो वहाँ कोई नियम ही नहीं हैl सब कुछ मन मर्जी से चल रहा हैl प्राइवेट अस्पतालों में आज भी हमारे नर्सिंग ऑफिसर मात्र 10-15 हजार रुपये प्रति माह वेतन में दयनीय स्थिति में काम करने को मजबूर हैl
खैर, देर आए, दुरुस्त आए! परंतु हमे इस होश एवं जोश को बनाय रखना चाहिएl अब चल पड़े हैं तो मंजिल पर पहुंच कर ही दम लेंगेl
नर्सिंग एकता जिंदाबाद!!!
-संदीप भार्गव
नर्सिंग ऑफिसर
एम्स दिल्ली