दिल्ली सरकार  द्वारा किये जा रहे वादे हुए खोखले, संविदा कर्मचारियों में रोष

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दिल्ली के अंदर कर्मचारियों के साथ हो रहा भेदभाव

दिल्ली सरकार द्वारा किये जा रहे वादे हुए खोखले,

आम आदमी पार्टी नें दिल्ली में पहला चुनाव लड़ने से पहले वादा किया था कि सरकार बनने के बाद सभी संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा।

अरविंद केजरीवाल जी को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनते देख चुके अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारी रोष में हैं। उन्होंने बताया सरकार बनने से पहले हमसे बड़े बड़े वायदे किये गए थे परंतु अभी तक कोई भी पूरा नहीं हुआ है ।हम सभी लोग भी नियमित कर्मचारियों की तरह रिस्क में काम करते हैं परंतु उनको सारी सुविधा दी जाती हैं और हमे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है यहां तक कि एक दिन की मेडिकल लीव भी हमें नही मिलती है और नौकरी का तो कोई भरोसा ही नहीं , कब नोटिस देकर निकाल दिया जाए । सर्वोच्च न्यायालय के कई आदेश इस बारे में आ चुके हैं कि संविदा कर्मचारियो को जल्द से जल्द पालिसी बनाकर नियमित किया जाए जिसके लिए दिल्ली सरकार ने नीयमतीकरण के लिए कैबिनेट भी करी थी पर अभी तक कुछ लागू नहीं हुआ । यह भी कहा गया था कि नियमित होने तक सारी सुविधाएं उन्हें दी जाएं परन्तु किसी सरकार ने इस बारे में कोई ठोस कदम नही उठाये हैं।

केजरीवाल सरकार से कर्मचारियों की उम्मीदे थी कि वह शायद संविदा कर्मचारियो का कुछ भला करेंगे परन्तु सुनने में आया है कि covid अस्पतालों में ज्यादा ड्यूटी संविदा कर्मचारियों की ही लग रही है। सरकार जान बूझकर चाह रही है कि ये मरे तो मरे कम से कम इनको मरने पर कोई खर्चा तो नही करना पड़ेगा।

बताते चले कि दिल्ली सरकार में संविदा पर कार्यरत डॉक्टरों को मेडिकल की सुविधा मिलती है जबकि उनसे नीचे कार्य करने वाले नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारियों को सिवाय तनख्वाह के कोई सुविधा नही है।

कमल कांत शर्मा (उप प्रधान), गुलाब रब्बानी (महा सचिव ) ‘दिल्ली स्टेट कांट्रैक्टचल एम्प्लॉयीज असोसिएशन’ , ने बताया कि अगर जल्द से जल्द इस बारे में सरकार ने निर्णय नहि लिया तो हम कठोर कदम उठाने पर मजबूर होगा । दिल्ली सरकार द्वारा लगभग 2000-2500 कर्मचारी उनके अस्पतालों में संविदा पर कार्यरत हैं।

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