अंतर्राष्ट्रीय नर्सेज दिवस की शुभकामनाएं!!!
साथियों, आज पूरे विश्व में नर्सिंग समुदाय इस विशेष दिन को सेलिब्रेट कर रहा है क्यूंकि आज के दिन हमारे नर्सिंग प्रोफेशन की जनक कही जाने वाली फ्लोरेंस नाईटिंगल का 200वां जन्मदिन हैl इसलिए ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने वर्ष 2020 को विश्वव्यापी नर्सिंग समुदाय को समर्पित किया हैl WHO द्वारा दिए गए इस टैग लाइन को दुनिया भर में और विशेष तौर पर भारत का नर्सिंग समुदाय एक ‘सम्मान’ की नजर से देख रहा हैl मुझे भी खुशी है कि अखिरकार कहीं ना कहीं नर्सेज को इतने बड़े पैमाने पर संबोधित किया गया है, लेकिन मैं इसे ‘सम्मान’ से ज्यादा ‘चुनौती’ के रूप में देखता हूंl विश्व के इतने बड़े स्वास्थ्य संगठन जिससे दुनिया के 192 देशों की स्वास्थ्य नीतियां बनती हैं, उसने एक पूरा साल नर्सेज को समर्पित किया है तो इसका उद्देश्य सिर्फ सम्मान देना नहीं हो सकता है अपितु विश्व समुदाय को एक संदेश भी देने की कोशिश की गई कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नर्स का क्या योगदान है और किस प्रकार से इसे लेकर और बेहतर नीतियाँ बनेl
12 मई नर्सेज के लिए खास है, यह एकमात्र दिन है जिस दिन हम खुद को सेलिब्रेट करते हैl इस साल इस कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौर में यह उत्साह और भी ज्यादा है क्यूंकि दुनिया भर में स्वास्थ कर्मियों को ‘योद्धा’ कह कर पुकारा जा रहा हैl भले ही हम इस वर्ष यह दिन धूमधाम से नहीं मना पा रहे हैं लेकिन हम WHO की टैग लाइन और इस मौकापरस्त ‘योद्धा’ वाली उपाधि से बेहद खुश हैंl सुबह से मीडिया और सोशल मीडिया को देख रहा हूँ, दुनियां का पता नहीं लेकिन भारत का नर्सिंग समुदाय इन्हीं दो बातों को लेकर बेहद उत्साहित नजर आ रहा हैl बस, यही एक कमजोरी है हमारी जब हम बुनियादी सवालों को छोड़कर सेलिब्रेशन में खो जाते हैंl मैं जानना चाहता हूं कि पिछले 2-4 महीने से पूरे विश्व को नर्स में योद्धा नजर आने लगा है तो क्या हम पिछले 200 साल से योद्धा नहीं थे? क्या तब किसी योद्धा की तरह इस COVID-19 से भी ज्यादा गंभीर बीमारियों से नहीं लड़ रहे थे जिनकी मोर्टेलिटी रेट इस से कहीं ज्यादा है? क्या तब हम अपनी जिंदगी दांव पर नहीं लगा रहे थे? लेकिन यह सारा Propaganda इसलिए किया जा रहा है ताकि WHO के उस बुनियादी सवाल को मिट्टी में मिला दिया जाए जिसमें उसने कहा कि वर्ष 2030 तक दुनिया भर में 9 million नर्सेज की ग्लोबल शोरटेज होगी और दुनिया के सभी देशों को अपने स्वास्थ्य सेक्टर को मज़बूत करने के लिए आने वाले कई वर्षों तक सबसे अधिक इनवेस्टमेंट करने की सलाह दी हैl मौजूदा दौर में जब प्रत्येक देश Corona से निपटने के लिए WHO के निर्देशों पर निर्भर है तो फिर नर्सेज से संबंधित उस सलाह को उतनी अहमियत क्यूँ नहीं जा सकती है?
भारत का नर्सिंग समुदाय आज 4 मोर्चों पर लड़ रहा हैl
1. Institutional Level
2. Government Level
3. Personal Level and
4. Social Level
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में नर्सिंग प्रोफेशन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका वाला एक सरकारी रेगुलेटरी बॉडी, इंडियन नर्सिंग कौन्सिल 1947 से लेकर आज तक अपने 73 साल के कार्यकाल में ये तय नहीं कर सका कि भारत में नर्सिंग प्रोफेशन में आने वाले लोगों की बेसिक क्वालीफिकेशन क्या होगी? आज जब शिक्षा प्रणाली अपने अधिकतम एडवांस दौर में है, आज एक बच्चा जब पहली कक्षा में स्कूल जाता है तो स्कूल की तरफ से अभिभावकों को स्टीक एवं विस्तृत जानकारी दी जाती है कि उनके बच्चे के लिए क्या क्या अनिवार्य हैl लेकिन हमारा INC आज भी इस बुनियादी सवाल से जूझ रहा कि B.Sc Nursing में एडमिशन के लिए 12th क्लास में साइंस होनी चाहिए या आर्ट? हम इंसानो की लाइफ के साथ डील करते हैं, यहां सब कुछ विज्ञान है, कला से मनोरंजन किया जा सकता है किसी की जान नहीं बचाई जा सकती हैl यह बात समझने में INC को अभी और कितना वक़्त लगेगा, पता नहींl आर्ट वाले मेरे साथी मेरी इस बात से नाराज बिल्कुल ना हो, मेरा आपत्ति आप से नहीं है, सिस्टम से हैl अगर हम सच में अपने प्रोफेशन को अपग्रेड करना चाहते हैं तो हमारे एजुकेशन सिस्टम को मजबूत करना ही पड़ेगाl कोचिंग संस्थानों के जरिए सरकारी नौकरी वाली राह हमे और गर्त में ले जाएगीl INC का काम है कि वो देश में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रणाली विकसित करेl उन्हें समझना होगा कि उनका काम सिर्फ नर्सिंग कालेज को affiliation देना नहीं है ब्लकि क्वालिटी एजुकेशन भी उन्हीं को सुनिश्चत करनी हैl
हमे हर स्तर पर ठगा गया हैl सरकार के स्तर पर भी कोई कमी नहीं छोड़ी गयी हैl WHO ने जब से सरकारों को हेल्थ सेक्टर को मजबूत करने के लिए नर्सिंग प्रोफेशन में सबसे अधिक इनवेस्ट करने की सलाह दी है, क्या आपने कोई ऐसी ख़बर सुनी है कि जिसमें WHO की बात को गम्भीरता से लिया गया हो? मैंने नहीं सुनी हैl बजाय इस पर गौर करने के, भारत सरकार के विभिन्न हेल्थ इंस्टीट्यूट इस बात पर माथापच्ची कर रहे हैं कि वो अपने यहां GNM वालों को नौकरी देंगे या B.Sc.Nursing वालों को? और इस से अधिक शर्मनाक यह कि वो एक स्वास्थ्य कर्मी को पुरुष या महिला की नजर से देखते हैं और महिला नर्सिंग कर्मीयों के लिए सरकारी पदों में 80% आरक्षण दे रहे हैंl ये किस तरह की हेल्थ पॉलिसी है कि 100% पुरुष, नर्सिंग का कोर्स कर सकते हैं लेकिन नौकरी सिर्फ 20% को ही मिल सकती हैl क्या आपको लगता है कि ऐसी नीति और नीतिकार किसी भी तरह से WHO की उस टैग लाइन को जस्टीफाई कर रहे हैं जिसमें वर्ष 2020 को ‘ईयर ऑफ दी नर्स एंड मिडवाइफ’ कहा गया है?
मुझे लगता है सारा कसूर दूसरों का नहीं हैl किसी भी प्रोफेशन की प्रगति उसकी निरंतरता पर निर्भर करती है लेकिन नर्सिंग प्रोफेशन में ‘ठहराव’ ही मानो हमारा अंतिम लक्ष्य हैl हम तब तक ही प्रयास करते हैं जब तक हमे जीवन यापन करने लायक काम नहीं मिल जाता हैl अगर ANM का कोर्स करने से हमे नौकरी मिल जाती है तो GNM के बारे में नहीं सोचते हैं और अगर GNM से नौकरी मिल गई तो B.Sc.Nursing के बार में हमारे मन में विचार ही नहीं आता हैl सौभाग्य से नर्सिंग में ANM से लेकर पीएचडी तक के कोर्स हैं लेकिन हमें जो मिल जाए हम उसी में गुजारा कर लेते हैंl यही कारण है कि नाईटिंगल से लेकर आज की मॉडर्न नर्स तक हमारी पहचान लगभग एक जैसी ही रही हैl निरंतर शिक्षा ही एकमात्र विकल्प है जिससे हम खुद को और प्रोफेशन को आगे ले जा सकते हैंl सिस्टम ने कभी भी नर्सिंग व्यवसाय को अपग्रेड करने के लिए उस स्तर पर प्रयास नहीं किया, जैसा होना चाहिए था और हमारी उदासीनता भी इसके लिए कहीं ना कहीं जिम्मेदार हैl
चौथा मोर्चा है हमारा समाज, जहां एक नर्स हर रोज लोगों को हॉस्पिटल के अंदर भी और बाहर भी ये समझाने की कोशिश करती है कि वो सफाई कर्मी नहीं है, स्वास्थ्य कर्मी हैl वैसे कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है, कोरोना काल ने तो सफाई कर्मियों का भी मह्त्व लोगों को समझा दिया है लेकिन जिसका जो काम है क्या उसको वो नाम नहीं मिलना चाहिए? हाल ही में UK के प्रधानमंत्री Boris Johnson Covid19 से ठीक होकर घर लौटे तो उन्होंने ने एक ट्वीट किया और उन नर्सेज का धन्यवाद दिया जिन्होंने आईसीयू में उनका ख्याल रखा थाl अच्छी बात हैl किसी राष्ट्राध्यक्ष का इस तरह से अपने स्वस्थ्य कर्मियों का नाम लेकर तारीफ करना और धन्यवाद देना बहुत महत्वपूर्ण हैl लेकिन उसके बाद क्या हुआ? देखते ही देखते वो ट्वीट और उनका वीडियो दुनिया भर में वायरल हो गया और भारत में भी नर्सिंग समुदाय Boris Johnson के लिए ताली बजाने में व्यस्त हो गयाl इस माहौल में जो असली हीरो (वो नर्सेज) थे वो कहीं खो गए और हमने बोरिस जॉनसन को हीरो बना दियाl ये दिखाता है कि हम प्रसंशा के उस एक क्षण के लिए कितने तड़फ रहे हैंl ऐसा लग रहा है था जैसे पिछले 200-300 सालों में पहली बार किसी ने नर्स की तारीफ की हैl क्या ऐसा नहीं लगा आपको?
6 मई को USA का National Nurse’s Day होता हैl प्रेसिडेंट ट्रम्प ने इस मौके पर कुछ नर्सेज को व्हाइट हाउस में बुलाया और उनके काम की तारीफ कीl क्या इतना काफी है? क्या ये अपने आप में शर्मनाक नहीं है कि दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क corona काल में अपने देश की नर्सेज को एक फेसमास्क भी उपलब्ध नहीं करा पा रहा हैl अपनी रद्दी नीतियों के चलते हजारों स्वास्थ्य कर्मियों की जिंदगी दांव पर लगा दी और फिर भी अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बता रहे हैंl बेहतर होता ट्रम्प 6 मई के दिन उन 12-12 घंटे की ड्यूटी की भी बात करते जो वहाँ के नर्सिंग ऑफिसर ने सारी बेसिक आवश्यकताओं की पूर्ति के बिना की हैl कितने नर्सिंग कर्मीयों ने PPE के अभाव में जान दी है और कितने लोग बीमार हुए हैंl भारत में भी हालत बहुत अच्छे नहीं हैl खैर अभी तो ताली, थाली और फूलोँ से काम चल रहा हैl भगवान करे, USA जैसे हालात यहां ना होl
#HappyInternationalNursesDay
#12May2020
#FlorenceNightingaleLongLive
धन्यवाद
संदीप भार्गव
नर्सिंग ऑफिसर
एम्स दिल्ली
Bahut hi satik avam vastvik lekh.
Without empowering nursing profession as nurse practitioner and other capacity building areas for health care services, India cannot reach MDG laid down by WHO. Accessible, affordable and equitable health care services to public will always remain dream.
And cost of health services by private partners? Poverty and Disease vicious cycle in india is only due to nexus between pharma and medical professionals.
Let’s hope
Some day it will change.
Than we will become true advocate for our poor clients.
Thanku you @Govind Soni ji.
सर्वप्रथम, भाई संदीप जी को बधाई। माँ सरस्वती आप पर सदैव आशीर्वाद बनाये रखे। आपने जो भी बातों का उल्लेख किया है, वो मैं व्यक्तिगत रूप से भी शत प्रतिशत सहमत हूँ।
नर्सिंग को इतनी गहराई से बहुत ही कम लोग आप जैसे जो जानते है । बहुत बहुत धन्यवाद आपको ।